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Armadillo Leprosy Treatment कुष्ठ रोग का सबसे अच्छा इलाज





Armadillo Leprosy Treatment(आर्माडिलो कुष्ठ रोग )

कुष्ठ रोग प्राचीन काल से चली आ रही एक बीमारी है उस काल के लोग इसे छुआछूत की बीमारी समझा करते थे। यह  रोग दूसरे रोगो अलग इसलिए होता है क्योंकि इसमें डर, अशिक्षा एवं अंधविश्वास के कारण लोग इसे घृणा और सामाजिक कलंक समझते थे जिस कारण इस बीमारी  का जाँच करवाने  और इसका उपचार करवाने में समस्याए खडी होती थी। कुष्ठ रोग हर उम्र के लोगो को हो सकता है यानी बच्चे हो या वृद्धजन हो बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। इसलिए इस लेख मै आपको Armadillo Leprosy Treatment का सबसे अच्छा इलाज के बारे मै बताऊगा।

Armadillo Leprosy Treatment

 वैज्ञानिक शोध से यह पता चला कि यह एक वैक्टीरिया के कारण होता है यह रोग  "माइकोबैक्टीरियम लेप्री" (Mycobacterium leprae) नामक बैक्टीरिया द्वारा फैलता है यह एक प्रकार का बैक्टीरिया का संक्रमण होता है। यह अधिक समय तक रहने वाला और धीरे धीरे निरंतर फैलने वाला इन्फेक्शन होता है। प्रमुख रूप से यह रोगी  की शरीर की नसों, नाक की ऊपरी परत,हाथ पैर और  श्वसन तंत्र को ऊपर से प्रभावित करता है।  इस संक्रमण के कारण  शरीर नसे क्षतिग्रस्त होने लगती है और की त्वचा में घाव एवं मांसपेशियों में शिथिलता आने लगती है।

 वैसे यह रोग अन्य तरह के फैलने वाली बीमारी  व इंफेक्शन की अपेक्षाकृत काफी कम संक्रामक होता है। कुष्ठ रोग के प्रमुख लक्षण हैं ऊपरी त्वचा पर घाव होने लगना और तंत्रिका प्रणाली का प्रभावित होना है।

कुष्ठ रोग की जांच बहुत ही आसानी  से हो जाती है, चिकित्सक को रोगी के द्वारा  जानकारी देने और शरीर के अवलोकन कराने और लक्षणों के देख कर ही कुष्ठ रोग  का जांच हो जाती हैं। कुष्ठ रोग की का संक्रमण कैसे रोका जाए इसके  लिए बीमार व्यक्ति को चिकित्सक द्वारा पूरी जानकारी प्रदान करना, यथा शीघ्र ही रोगी  का परीक्षण और उपचार  शुरू करना होता है।
बर्तमान समय मै मल्टी-ड्रग थेरेपी का प्रयोग करके कुष्ठ रोग का उपचार चिकित्सक द्वारा किया जाने लगा है। अतःआज के दौर मै कुष्ठ रोग का इलाज संभव हो गया है।परंतु यदि किन्ही  कारणो से कुष्ठ रोगी  का इलाज ना किया जाए तो इसके कारण शरीर  की त्वचा में गंभीर दाग आ जाते है जिससे जिसके कारण त्वचा कुरूप हो जाती है कभी कभी  मरीज विकलांगता का शिकार भी हो सकता है। कुष्ठ रोग का उपचार संभव है इसलिए जल्द ही इलाज करना चाहिए जिससे मरीज को शारीरिक विकलांगता से बचाया जा सकता है।और मानसिक तनाव से बचाया जा सके।

 Types of Leprosy कुष्ठ रोग के रूप 

आइए जानते है कि कुष्ठ रोग कितने प्रकार का होता है?

कुष्ठ रोग को विभक्त करने की सबसे  सरल रूप से बात की जाए तो इसे इन दो प्रकार में वर्गीकृत किया गया है:

ट्युबरक्युलॉइड (Tuberculoid)

लेप्रोमेटस (Lepromatous)

अधिकतर कुष्ट रोग के प्रकार इन दोनों रूप से मिलकर बने होते हैं।  दोनों प्रकार के कुष्ठ रोग मै रोगी की त्वचा पर घाव बनना लगते हैं। परंतु कुष्ठ रोग का लेप्रोमेट्रिक प्रकार मै अधिक गंभीर प्रकार का इंफेक्शन होता है इसमे रोगी के  शरीर के संक्रमित भाग का मांस धीरे धीरे बढ़ने लग जाता है और गांठे बन जाती हैं।जो तकलीफ दायक महसूस होती है।इससे शारीरिक कुरूपता बढ जाती है।मानसिक भय भी बढने लगता है।

कुष्ठ रोग के लक्षण - Leprosy Symptoms 

कुष्ठ रोग होने  से क्या क्या बदलाव शरीर मै  होने लगते हैं?

 सामान्यतः   शुरूआती लक्षण और संकेत के आधार पर  कुष्ठ रोग की पहचान मुश्किल होती हैं परंतु जब संक्रमण धीरे-धीरे बढता जाता, वैसे अधिकांशत इन लक्षणों को सही तरह से  विकसित होने में लगभग दस से बारह माह  का समय लग जाता है। कुष्ठ रोग के कुछ साधारण संकेत व लक्षण इसमे नजर आने लगते है।

कुष्ठ रोग के शुरुआती लक्षण: 

त्वचा का सुन्न महसूस होना

तापमान में बदलाव का एहसास होना

 त्वचा छूने पर स्पर्श महसूस ना होना

त्वचा मै पिन या सुई आदि चुभने जैसा महसूस होना

कुष्ठ रोग के अन्य लक्षण: 

जोड़ों में दर्द होना

त्वचा को छूने, दबाने  पर भी त्वचा में किसी तरह का एहसास महसूस ना होना या कम महसूस होना

 त्वचा की नसों क्षतिग्रस्त हो जाना

 रोगी का वजन घटना 

 फोड़े या चकत्ते त्वचा पर बनना

त्वचा पर दर्द रहित फफोले बन जाना

त्वचा पीले,सफेद रंग के घाव या धब्बे बन जाना

आंखों पर भी इस रोग का बुरा प्रभाव  पडता है इसके कारण  आंखो संबंधी परेशानियां होती है जैसे आंखों में सूखापन आ जाना या पलको का  झपकना कम होना।

 कुष्ठ रोग बालो से संबंधित परेशानी भी आती है जिसके कारण बाल झड़ने लगते है।
 
कुष्ठ रोग का संक्रमण बढ़ जाने पर होने वाले लक्षण:

 रोगी को बड़े-बड़े अल्सर बनने लगते है।

धीरे धीरे समय के साथ उँगलियाँ छोटी होने  लगती है

 रोगी चेहरे का कुरूप हो जाना , जैसे नाक नष्ट हो जाना

डॉक्टर को कब दिखाने जरूरत है?

यदि उपरोक्त लक्षण महसूस  होने लगे या संकेत नजर आने लगे जो कुष्ठ रोग से संबंधित है तो उनको जल्द से जल्द परीक्षण  हेतु चिकित्सक के पास चला जाना चाहिए,और  यदि आप किसी कटिबंध क्षेत्र मै है या किसी ऐसे स्थान की यात्रा कर रहे हैं जहां पर कुष्ठ रोग संक्रमण अधिक होता है। 

 चिकित्सक के पास अवश्य जाए जबकि आपकी त्वचा पर किसी प्रकार के घाव या चकत्ते बन रहे हो और  जिनके बनने  कारण आपको  पता ना हो

चिकित्सक के पास अवश्य  जाए जबकि आपकी त्वचा  सनसनी या झुनझुनी का एहसास कम महसूस होने लगे

 रोगग्रस्त व्यक्ति की चमडी मोटी होने का एहसास होने लगे

मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना

आंखो में दर्द या दृष्टि में बदलाव व पलक झपने मै बदलाव 


Causes and risk factors of leprosy infection

 (कुष्ठ रोग के संक्रमण का कारण एवं जोखिम कारक )
 कुष्ठ रोग क्यों होता है?

वास्तव मै अभी तक विभिन्न  वैज्ञानिक शोधकार्य के बाद भी यह जानकारी उपलब्ध नहीं  हो सकी है कि कुष्ठ रोग का संक्रमण लोगों के बीच आखिर कैसे फैलता है।इसलिए फिलहाल यह अवधारणा  है कि जब कुष्ठ रोग से संक्रमित कोई व्यक्ति खुली हवा में खांसता या छींकता है तो उसके छीनने  या खांसने पर मुंह से तरल पदार्थ की सूक्ष्म बूंदे हवा में  उड़कर फैल जाती हैं जिनमें ऐसे बैक्टीरिया होते है जो कुष्ठ रोग फैलाने वाले होते हैं। कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जब  इन अतिसूक्ष्म बूंदों को सांस के द्वारा अथवा मुंह अंदर खींच लेता है तो ऐसा व्यक्ति भी कुष्ठ रोग से इफेक्टिव हो जाता है। कुष्ठ रोग से संक्रमित व्यक्ति जिसका उपचार ना किया गया हो, उसके साथ लगातार कई महीने तक नजदीक संपर्क में रहने से कोई भी व्यक्ति कुष्ठ रोग से ग्रस्त हो जाता हैं।

 कुष्ठ रोग की सही जानकारी न होना,शिक्षा का अभाव और ,अंधविश्वास की वजह कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगो को एक सामाजिक कलंक समझा  जाता है, अतः यह जानना बेहद  आवश्यक है कि ऐसे कौन सी परिस्थित हैं जिनमें कुष्ठ रोग का संक्रमण नहीं फैलता:

कुष्ठ रोग से ग्रस्त व्यक्ति के साथ थोड़ा-बहुत अथवा कम  संपर्क होने से कुष्ठ रोग का संक्रमण नहीं फैलता, जैसे:

कुष्ठ रोगी से हाथ मिलाना या गले लगाना से संक्रमण नही फैलता

बस ,ट्रेन अथवा किसी भी वाहन  में एक दूसरे के आमने-सामने बैठने से संक्रमण नही फैलता

 कुष्ठ रोगी के साथ खाना खाते समय एक साथ बैठने से संक्रमण नही फैलता

कुष्ठ रोगग्रस्त गर्भवती महिला का संक्रमण  से उसके बच्चे में नहीं फैलता और ना ही शारीरिक संबंध बनाने  के दौरान संक्रमण फैलता है

कुष्ठ  रोग के संक्रमण के स्रोत का पता लगाना बहुत मुश्किल इसलिए भी हो जाता है क्योकि इसके संक्रमण की प्रकिया बहुत धीरे धीरे चलती है और इसके लक्षण जब तक विकसित होते है तब तक काफी अधिक समय गुजर जाता है।
 Prevention of Leprosy (कुष्ठ रोग से बचाव )

कुष्ठ रोग के संक्रमण से बचाव या रोकथाम कैसे करें?

कुष्ठ रोग के संक्रमण का सबसे अच्छा बचाव यह है कि ऐसे लोगों का  जल्द से जल्द डॉक्टर से परीक्षण और इलाज करना चाहिए जिनको थोडा सा भी कुष्ठ रोग संक्रमण का संदेह है अथवा  ऐसे लोग जिनके संक्रमित होने की पुष्टि की जा चुकी है।  

ऐसे लोग जो कुष्ठ रोग से ग्रस्त है ऐसे व ऐसे व्यक्ति जिनका इलाज नहीं चल रहा हो, अधिक  लंबे समय तक उनके संपर्क में न आना भी कुष्ठ रोग के संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है।

कुष्ठ रोग से संक्रमित व्यक्ति व उसके परिवार जनो को कुष्ठ रोग का उपचार करवाने के लिए प्रोत्साहित करना,  सार्वजनिक शिक्षा और सामुदायिक जागरूकता भी बेहद सफल हो सकती है।

कुष्ठ रोग से संक्रमित रोगी के संपर्क रहने वाले लोगों को नजर  में रखना जरूरी है ताकि कुष्ठ रोग के जुड़े किसी भी प्रकार के लक्षण अथवा  संकेत की तत्काल जांच कराए इस प्रकार संक्रमण को बढने से बचाव किया जा सके।

वर्तमान समय  में कुष्ठ रोग से बचाव करने के लिए ली जाने वाली दवाओं अथवा औषधि का उपयोग करने के कोई सही मानदंड नहीं बनाए गए हैं। 

 दुर्भाग्यवश वर्तमान काल में कोई भी ऐसी वैक्सीन  नही है जो सभी लोगों में कुष्ठ रोगग्रस्त होने से पूर्ण तरह से सुरक्षित कर सके। 

 वैसे बीसीजी (BCG) समेत कुछ अन्य टीके भी हैं  पर वे कुष्ठ रोग से कुछ हद तक बचाव कर  सकते हैं। परन्तु यह टीके कुछ लोगों को अधिक तो कुछ लोगों को कम सुरक्षा ही  प्रदान करते हैं।

 Diagnosis of Leprosy कुष्ठ रोग का परीक्षण

कुष्ठ रोग का परीक्षण कैसे होता है?

 वैसे चिकित्सक के लिए कुष्ठ रोग की पहचान करना काफी आसान होता है, क्योंकि कुष्ठ रोगी पर इसके संक्रमण से उसके शारीरिक लक्षण आसानी से नजर आने लगते है।
 सामान्यतः डॉक्टर कुष्ठ रोगग्रस्त व्यक्ति का  शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। जिस पर उन्हे कुष्ठ रोग के संक्रमण के संकेत व लक्षण दिखाई  दे जाते है। परंतु रोग के जांच की पुष्टि करने के लिए चिकित्सक "स्किन बायोप्सी" (Skin Biopsy)  "स्क्रैपिंग" (Scrapping)  कर सकते हैं। चिकित्सक रोगग्रस्त व्यक्ति शरीर से लिए गए इस सेंपल को पैथोलॉजी में जांच के लिए भेजते है और जांच के निष्कर्ष पर इलाज करते है।

कुष्ठ रोग के  लिए डॉक्टर "लेप्रोमिन स्किन टेस्ट" (Lepromin skin test) भी कर सकते हैं। इस टेस्ट  के दौरान डॉक्टर कुष्ठ रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया की एक निश्चित मात्रा को इंजेक्शन के द्वारा  रोगी के शरीर में डालते हैं, जो आमतौर पर हाथ के अगले हिस्सा होता है  जिन लोगों को कुष्ठ रोग होता है उनको इंजेक्शन लगाने वाले स्थान पर तकलीफ महसूस होने लगती है।
Armadillo Leprosy Treatment

हाथ व पैरों में लकवा  की शिकायत होना 
  1. सभी उंगलियों पर गंभीर घाव होना उनका आकार धीरे धीरे घटते जाना
  2. पैर के नीचे और ठीक ना होने वाले छाले का हो जाना
  3. अंधापन
  4. बालो का झड़ना, विशेषकर भौंह  और पलकों के बाल का झडना
  5. नाक की आकृति खराब हो जााना
  6. कभी-कभी होने वाली कुछ अन्य जटिलताएं जैसे:
  7. नसों में लगातार दर्द रहना
  8. संक्रमित स्थान वाली जगह पर लाल लाल चितते ता दाग होना  और उनमै दर्द  होना
  9. त्वचा में जलन महसूस होना 
  10. स्तंभन दोष और बांझपन
  11. गुर्दे खराब
 medicines for Leprosy कुष्ठ रोग की दवा

कुष्ठ रोग के लिए बहुत  प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे इस प्रकार की बहुत सी दवाइयां बताई गयी हैं। परंतु बिना चिकित्सक  से सलाह लिये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें।  कियूकि  डॉक्टर की सलाह लिए  बिना  दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर समस्याए हो सकती है। हालांकि हम यहाँ  ऐलोपैथिक, होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक दवाई और जडी बूटी बता रहे है।
कुछ ऐलोपैथिक दवाएँ कुष्ठ रोग के प्रकार और लक्षण  के आधार पर निर्भर करती हैं। इन सभी दवाईयो को खाया जाता है।
कुष्ठ रोग का सबसे अच्छा इलाज

Allopathic medicine :-
मल्टीबेसिलरी: दवाओं का सही मात्रा मै संयोजन किया जाता है इसमे एक डेप्सन, रिफ़ैम्पिन और क्लोफ़ाज़िमाइन है।  वैसे अधिकांशत संयुक्त राज्य अमेरिका में 18वर्ष से अधिक के रोगी को 2 वर्ष के लिए दिन में एक बार रिफ़ैम्पिन, डेप्सन और क्लोफ़ाज़िमाइन दिया जाता है।परंतु दुनिया के दूसरे भागो में,   चिकित्सक की देखरेख में माह में सिर्फ एक बार रिफ़ैम्पिन और क्लोफ़ाज़िमाइन देते हैं तथा 24घंटे मै  एक बार डेप्सन के साथ क्लोफ़ाज़िमाइन स्वयं लिया जाता हैं। और यह एक वर्ष तक जारी रहता है।

पौसिबेसिलरी: संयुक्त राज्य अमेरिका में, बडी को  एक वर्ष  के लिए प्रतिदिन 24घंटे में एक बार रिफ़ैम्पिन और डेप्सन दिया जाता है। जबकि विश्व के अन्य भागो में, वयस्क रोगी को 6 महीने के लिए बिना पर्यवेक्षण के ही दिन में एक बार रिफ़ैम्पिन देते हैं और 24घंटे में एक बार डेप्सन देते हैं।

डेप्सन अन्य दवाईयो की तुलना मै सस्ती है और सामान्य तौर पर  उपयोग करने के लिए सुरक्षित भी है। परंतु यह कभी-कभी एलर्जी वाले चकत्ते और एनीमिया आदि समस्याए भी पैदा कर देती है।

रिफ़ैम्पिन, काफी अधिक महंगा है, परंतु डेप्सन से भी कही अधिक प्रभावी है। परंतु इसके दुष्प्रभाव से लिवर को नुकसान, बुखार जैसे लक्षण और शायद ही कभी परंतु इससे किडनी फेल हो सकती  है।

क्लोफ़ाज़िमाइन बेहद सुरक्षित दवा है। मुख्य दुष्प्रभाव अस्थायी स्किन की लालिमा या दाग है, उसे गायब करती है परंतु इसमे ऐसा होने में कई महीनों का समय लग सकता हैं।

कुष्ठ रोग का इलाज मै निम्न लिखित होम्योपैथिक और प्राकृतिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है

थूजा

सल्फर

ट्यूबरकुलिनम

कैलोट्रोपिस

चोलमोग्रा तेल

एलियस

हाइड्रोकोटाइल

एपिस

कुष्ठ रोग का आयुर्वेदिक उपचार (leprosy ayurvedic treatment)

आयुर्वेदिक के अनुसार, सफेद कनेर की जड़ के साथ कुटज-फल, करंज-फल, दारुहल्दी की छाल और चमेली की नयी पत्तियों को पत्थर पर  पीसें ले और इसका एक लेप या मिश्रण बनाकर  लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

कनेर के पत्तों को पानी उबालकर नहाने के पानी के साथ मिलाकर इससे नहाने से आपको कुष्ठ रोग में बहुत फायदा होता 
पीले कनेर की जड को तेल सरसो अथवा नारियल के तेल मै डालकर उबाल ले और इसे संक्रमित त्वचा पर लगाये इससे बहुत लाभ होता है।

सफेद  कनेर की छाल को पीसकर इसका पेस्ट बनाकर  को लगाने से कुष्ठ रोग में फायदा होता है।
conclusion. इस armadillo Leprosy Treatment लेख मै यथासंभव कुष्ठ रोग की जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है किसी भी प्रकार की दवा का प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से ले।संक्रमित व्यक्ति से घृणा न करे बल्कि तुरंत उपचार करे।इसी प्रकार के स्वास्थ्य और सेहत संबंधित जानकारी के लिए हम फॉलो अवश्य करे ताकि हमारा उत्साह वर्धन होता रहे।धन्यवाद
Faq:
Q1-कुष्ठ रोग के प्रमुख लक्षण क्या है?
ans-कुष्ठ रोग के प्रमुख लक्षण यह है कि संक्रमित भाग का रंग मै बदलाव होता है।सुन्नत का एहसास होता है,बडे अथवा छोटे चित्ते बनने लगते है।गांठ भी बनने लगती है।हाथ पैर की ऊंगली छोटी होने लगती है।
Q2-कुष्ठ रोग का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
ans-मल्टी ड्रग थैरेपी इसका सबसे अच्छा इलाज माना जाता है।हालांकि आयुर्वेदिक इलाज व होम्योपैथिक इलाज ही उपलब्ध है।
 Q3-कुष्ठ रोग कैसा दिखता है?
ans-कुष्ठ रोग मै त्वचा रंग बदलने लगता है।त्वचा बद रंग हो जाती है।चेहरे पर कुरूपता आने लगती है।गांठे भी निर्मित होने लगती है।

Q4-कुष्ठ रोग मै क्या क्या परहेज करना चाहिए?
ans-कुष्ठ रोग एक वैक्टीरिया से होता है।इस कुछ  परहेज जरूरी है यह वैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के लगातार  निकट संपर्क से,संक्रमित व्यक्ति के छीनने खांसने से उसके मुंह से उडने वाली सूक्ष्म बूंदे जो दूसरा व्यक्ति मुंह या सांस ग्रहण कर लेता है।और वो भी संक्रमित हो जाता है।इसलिए संक्रमित व्यक्ति से लगातार निकटता नही रखना चाहिए। उसके कपडे का इस्तेमाल भी नही करना चाहिए। 

Q5-कुष्ठ रोग मै कौन सी नस ज्यादा प्रभावित होती है?
ans-कुष्ठ रोग मै सबसे ज्यादा त्वचा,आंख,नाक,दिमाग, स्पाइनल कार्ड आदि की नसे सबसे अधिक प्रभावित होती है।

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