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डायबिटीज की सबसे अच्छी दवा क्या है?

डायबिटीज की सबसे अच्छी दवा:-  ,जानने से पहले  डायबिटीज के लक्षण, प्रकार,कारण,समाधान या डायबिटीज से बचाव के विषय मै जानकारी होना बेहद जरूरी है।तो आइये हम डायबिटीज पर विस्तृत चर्चा करते है।आज इस लेख के माध्यम से हम बेहद महत्वपूर्ण जानकारी आपको उपलब्ध करा रहे है।
मित्रो आजकल के दौर मै मधुमेह की बीमारी आम बीमारी है। डायबिटीज भारत ही नही दुनियाभर में करोड लोगो है।इस बीमारी से हर घंटे में तीस मौत हो रही है। डायबिटीज से बहुत तरह की तकलीफ होती है... किसी की किडनी खराब हो जाती है, किसी का लीवर खराब हो रहा है किसी किसी को ब्रेन हेमरेज हो रहा है, कोइ पैरालिसिस से ग्रसित हो रहा है, किसी को ब्रेन स्ट्रोक आ रहा है, किसी को हार्ट अटैक आ रहा है। शुगर या डायबिटीज की बीमारी एक खतरनाक रोग है।इसमै रक्त ग्लूकोज स्तर बढा़ हुआ मिलता है।इन मरीजों में रक्त कोलेस्ट्रॉल, वसा के अवयव के बढने के कारण ये रोग होते है। इन मरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, रोग का खतरा सदैव बना रहता है। हम जो भोजन खाते है वो भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ईधन में परिवर्तित हो जाता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं। यह एक प्रकार की शक्कर है। ग्लूकोज रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है। अग्नाशय ग्लूकोज उत्पन्न करता है इनसुलिन भी रक्तधारा में मिलता है और कोशिकाओं तक जाता है।

डायबिटीज होने का कारण क्या है?

मधुमेह बीमारी का मुख्य कारण जब तक हम नही समझेगे तब तक मधुमेह कभी भी ठीक नही हो सकती है जब आपके रक्त में वसा (कोलेस्ट्रोल) की मात्रा बढ जाती है तब रक्त में मोजूद कोलेस्ट्रोल कोशिकाओ के चारों वो चिपक जाता है और  खून में मोजूद इन्सुलिन कोशिकाओं तक नही पहुँच पाता है (इंसुलिन की मात्रा तो पर्याप्त होती है किन्तु इससे रिसेप्टरों को खोला नहीं जा सकता है, अर्थात पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है) वो इन्सुलिन शरीर के किसी भी काम में नही आता है जिस कारण से शरीर में हमेशा शुगर का स्तर हमेशा ही बढा हुआ होता है जबकि जब हम बाहर से इन्सुलिन लेते है तब वो इन्सुलिन नया-नया होता है तो वह कोशिकाओं के अन्दर पहुँच जाता है  अब आप समझ गये होगे कि मधुमेह का रिश्ता कोलेस्ट्रोल से है न कि शुगर से।
डायबिटीज का प्रभाव क्या होता है।
 इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की सेक्स लाइफ भी प्रभावित होती है या सेक्स के समय बहुत तकलीफ होती है समझ जाइये डायबिटीज हो चूका है या होने वाला है क्योकि जिस आदमी को मधुमेह होने वाला हो उसे सम्भोग के समय बहुत तकलीफ होती है क्योकि मधुमेह से पहले जो बीमारी आती वो है सेक्स में प्रोब्लम होना, मधुमेह रोग में शुरू में तो भूख बहुत लगती है। लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है। शरीर सुखने लगता है, कब्ज की शिकायत रहने लगती है। अधिक पेशाब आना और पेशाब में शुगर आना शुरू हो जाती है और रोगी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्म/घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता और बहुत मुश्किल मै ठीक होता है।       

मधुमेह के प्रमुख लक्षण :

1. बार-बार पेशाब लगना।
2. बहुत ज्यादा प्यास लगना।
3. बार बार पानी पीने के बाद भी गला सूखना।
4. खाना खाने के बाद भी बहुत भूख लगना।
5. जी मचलना और कभी-कभी उल्टी होना।
6. शरीर में अकड़न एवं झंझनाहट होना।
7. कमजोरी और थकान की शिकायत होना।
8. आंखों से धुंधला दिखाई देना।
9. त्वचा या मूत्रमार्ग में संक्रॅमित होना।
10. त्वचा में रूखापन आना।
11. चिड़चिड़ापन होना।
12. सिरदर्द भी होने लगता है।
13. शरीर का तापमान कम होना।
14. मांसपेशियों में दर्द भी इसका लक्षण है।
15. पीड़ित के शरीर का वजन तेजी से कम होना।
उपाय:-
डायबिटीज की रोकथाम करने के लिए जीवन शैली व दिनचर्या मै बदलाव करना प्रीडायबिटीज या डायबिटीज के शुरुआती समय में मधुमेह से बचाव करने के लिए दवाई लेने से पूर्व डॉक्टर द्वारा कुछ दिनचर्या मै बदलाव करने की सलाह दी जाती है। इससे डायबिटीज में गोली,या दवा लेने की जरूरत से भी बचा जा सकता है।             ये बदलाव हैं:-
अपने भोजन में सेहतमंद पदार्थ जैसे मौसमी ताजे फल,हरी सब्जी, कम फैट वाले डेयरी उत्पाद, नट्स सूखे मेवे आदि शामिल करना।
आपको प्रतिदिन कम से कम आधे घंटे तक व्यायाम या योग करने की सलाह दी जा सकती है।
डायबिटीज से रोकथाम के लिए निर्धारित समय
पर सोना और समय पर उठना जरूरी होता है। इसलिए, अपने लिए स्लीप शेड्यूल (sleep schedule) बनाना चाहिए।
अगर डायबिटीज के कारण तनाव है, तो तनाव कम करने के लिए आसन आदि कर सकते है।
रोजाना एक निर्धारित समय पर रक्त शुगर को जाँच करें और शुगर लेवल में ज्यादा होने पर डॉक्टर से परामर्श करें।अगर ऊपर दिये गए उपायों के बाद शुगर के लेवल की स्थिति में किसी तरह का सुधार नहीं होता है, तो डॉक्टर डायबिटीज की दवाइयां लेने का सुझाव दे सकते हैं। तो जानिए शुगर की दवा लेने का सबसे बढिया समय क्या है?
डायबिटीज कितने प्रकार की होती है।और इसकी दवाई क्या होती है।

टाइप 1 डायबिटीज के लिए


टाइप 1 डायबिटीज का पहला प्रकार है इसके होने का मुख्य कारण ऑटोइम्यून डिजीज है, जिससे पैंक्रियाज को हानि हो सकता है। इससे शरीर में इंसुलिन की कमी होने लगती है जिससे शुगर लेवल बढ़ने लगता है। टाइप 1 डायबिटीज को मैनेज करने के लिए मुख्य रूप से इंसुलिन (synthetic insulin - जो शरीर में जाकर प्राकृतिक इंसुलिन की तरह कार्य कर सकता है) का उपयोग किया जाता है।



शॉर्ट-एक्टिंग इंसुलिन (Short Acting Insulin) - इसे खाने से 30 से 60 मिनट पूर्व इंजेक्ट किया जाता है। यह लगभग 30 मिनट में सबसे ज़्यादा हो सकता है और इसका असर 3 से 6 घंटे तक रहता है।


रैपिड एक्टिंग (Rapid Acting) - इस इंसुलिन को खाने से पहले लिया जाता है। रैपिड एक्टिंग को अक्सर लॉन्ग-एक्टिंग इंसुलिन के साथ लिया जाता है। यह इंसुलिन लगभग 15 मिनट में अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देता है। लगभग एक घंटे में इसका प्रभाव सबसे ज़्यादा रहता है। इसका प्रभाव लगभग 3 से 4 घंटे तक रह सकता है।


इंटरमीडिएट एक्टिंग (Intermediate-acting insulin) - इस इंसुलिन का उपयोग रैपिड एक्टिंग और रेगुलर/शॉर्ट-एक्टिंग इंसुलिन के साथ किया जा सकता है। इसका प्रभाव दिखने में 2 से 4 घंटे लग सकते हैं और इसका असर लगभग 12 से 18 घंटो तक रह सकता है।


लॉन्ग-एक्टिंग इंसुलिन (Long Acting Insulin) - जरूरत पड़ने पर सामान्यतः इंसुलिन को रैपिड या शॉर्ट-एक्टिंग इंसुलिन के साथ लिया जाता है। इसे असर दिखाने में लगभग दो घंटे लग सकते हैं और इसका असर 24 घंटे या उससे अधिक समय तक रह सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज के लिए 

टाइप 2 डायबिटीज की स्थिति में शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या इसका सही तरह से उपयोग नहीं कर पाता है। जिससे कि शुगर लेवल बढ़ने लगता है। इसलिए शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर इन्सुलिन और कुछ गोलियां लेने की सलाह दे सकते हैं। साथ ही उन गोलियों को लेने का सही समय भी बताते हैं।

मेटफोर्मिन (Metformin) - यह टाइप 2 डायबिटीज के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किये जाने वाले दवाइयों में से एक है। इसे खाने के बाद लिया जाता है और यह दवाई शुगर लेवल को संतुलित करने में मदद करती है। 

बिगुआनाइड (Biguanide) - इस शुगर की अंग्रेजी दवा को खाने के बाद लेने के लिए कहा जाता है। यह दवाई लिवर द्वारा उत्पन्न किए जाने वाला ग्लूकोज की मात्रा को कम करती है। यह डायबिटीज और प्रीडायबिटीज दोनों ही स्थिति के लिए उपयोग की जाती है।  

मेग्लिटिनाइड (Meglitinide) - डायबिटीज की दवा मेग्लिटिनाइड को, खाने से ठीक पहले लेने की सलाह दी जाती है। यह दवाई पैंक्रियाज़ को अधिक इंसुलिन बनाने में सहायता कर सकती है।

अल्फा-ग्लूकोसिडेस इनहिबिटर (Alpha Glucosidase Inhibitors) - इस दवाई को खाने से ठीक पहले लेने की सलाह दी जाती है। इससे शुगर लेवल को नियंत्रण में रखा जा सकता है।

ग्लूकागन पेप्टाइड्स (Glucagon Peptides) - शुगर की टेबलेट में ग्लूकागन पेप्टाइड्स भी एक है, जिसे खाने से 60 मिनट पहले लेने की सलाह दी जाती है। यह दवाई शरीर में ग्लूकागन पेप्टाइड नामक हार्मोन को बढ़ाने का काम करती है। इससे भूख कम और इंसुलिन का उत्पादन बढ़ सकता है।
 

नोट: डायबिटीज की गोली कब लेनी चाहिए यह हमेशा डॉक्टर निर्धारित करता है। इसलिए, आप अपने शुगर की गोली लेने का सही समय डॉक्टर से पूछ सकते हैं। 

डायबिटीज के लिए सबसे अच्छी दवाई 
कडायबिटीज की सबसे अच्छी दवाई के रूप  इंसुलिन को माना  जा सकता है। लगभग हर मधुमेह रोगी को डॉक्टर इंसुलिन लेने की सलाह देते हैं। वहीं, शुगर की गोली  में बिगुआनाइड, मेग्लिटिनाइड, ग्लीपीजीड और मेटफार्मिन लेने की सलाह भी दी जाती है। ये दवाइयां पीड़ित व्यक्तियो पर अलग-अलग तरह से असर कर सकती है। इसलिए, किसी एक को अच्छा कहना बहुत मुश्किल है, क्योंकि हर दवा अपने में असरदार है। इसलिए अच्छा  है इस बारे में पीड़ित व्यक्ति अपने डॉक्टर से ही सलाह लें। डायबिटीज की दवाई किन परिस्थितयो मै नहीं लेना चाहिए?

  1. डायबिटीज की दवा को कुछ स्थितियों में लेने से बचना चाहिए। ताकि दवाई से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। 
  2. जब रक्त मै शुगर की मात्रा  जरूरत से ज्यादा कम हो जाए, तो शुगर की दवाई लेने से बचना चाहिए।
  3. अल्कोहल का सेवन करने  से पहले या कुछ घंटे बाद शुगर की टेबलेट न लें।
  4. विशेषज्ञ/चिकित्सक की सलाह के बिना कोई भी नई शुगर की दवाई कभी न लें।
  5. मधुमेह की दवाई लेने के बाद किसी तरह की परेशानी होती है, तो उस दवाई/गोली  को लेने से बचें और अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
  6. डायबिटीज की दवाई लेने से होने वाले नुकसान
  7. मधुमेह की दवाई खाने से डायबिटीज को मैनेज करने में सहायता तो मिल सकती है। परंतु कभी कभी डायबिटीज की दवा से मरीज को कुछ नुकसान भी हो सकते हैं।  
  8. बहुत ज्यादा कमजोरी थकान होना।     उल्टीदस्त, मितली और सिरदर्द होना।
  9. त्वचा पर लाल चकत्ते दिखाई देना।या खुजली होना।
  10. बुखार आना,आंखो मै जलन और गले में खराश।
  11. सूर्य के प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता में बढने पर।
  12. शुगर की गोली/दवाई कब लेनी चाहिए, यह तो आप जान ही गए होंगे। लेकिन यह भी जानकारी जरूरी है कि डायबिटीज की दवाई को हमेशा प्रमाणित मेडिकल स्टोर व चिकित्सक के बताये अनुसार ही ख़रीदना है। 
  13. दवाई लेने के बाद एक बार अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं, क्योंकि आजकल बाजार में नकली दवाई भी उपलब्ध है, जो आपके सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है और समस्या को गंभीर कर हो सकती है।                                         सारांश पढ़ें                                                  डायबिटीज या मधुमेह एक क्रॉनिक हेल्थ कंडीशन है, जिसमें ब्लड शुगर मात्रा सामान्य से काफी अधिक बढ़ जाता है।
डायबिटीज में पैंक्रियाज पार्यप्त इंसुलिन (Insulin - एक प्रकार का हार्मोन) का उत्पादन नहीं कर पाते हैं या उनका सही से उपयोग नहीं कर पाते हैं। इससे ग्लूकोज  का उपयोग नहीं हो पाता है और रक्त में शुगर लेवल बढ़ने लगता है। 
डायबिटीज में दवाई लेने से पहले कुछ लाइफस्टाइल मै बदलाव जैसे सेहतमंद आहार, प्रतिदिन व्यायाम या योग, निर्धारित स्लीप पैटर्न, आदि को अपना सकते हैं।
शुगर की दवाई कब लेनी चाहिए, यह डायबिटीज के प्रकार और दवाई पर निर्भर करता है। कुछ दवाइयां जैसे कि बिगुआनाइड को खाने के बाद, मेग्लिटिनाइड को खाने से ठीक पहले और ग्लूकागन पेप्टाइड्स को खाने से एक घंटे पहले लेने की सलाह दी जाती है। 
शुगर लेवल के बहुत ज्यादा कम होने पर, शराब के सेवन से पहले या बाद में शुगर की दवा नहीं लेना चाहिए।
डायबिटीज की दवाई लेने के नुकसान में बहुत ज्यादा थकान होना, बुखार आना, गले में खराश, दस्त की समस्या, उलटी, मितली और सिरदर्द होना शामिल है।

उपसंहार:-उपरोक्त लेख की समस्त जानकारी विशेषज्ञो के लेख,अखबार, व इन्टरनेट पर प्राप्त चिकित्सको की सलाह आदि पर आधारित है।मधुमेह की शिकायत होने पर चिकित्सक से परामर्श ले।उपरोक्त लेख के आधार पर मधुमेह का इलाज, अथवा दवाई न ले।चिकित्सक से सलाह ले।

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